जिंदगी में कोई
क्यूँ नहीं मिलता
एक नया तूफ़ान
क्यूँ नहीं खिलता
मैं भी देख लूँ जी के
ऊँचे टीलों पे
क्या होते हैं एहसास
इन कबीलों के !
मैं भी उड़ लूँ
तूफ़ानी फिज़ाओं में
जानता हूँ एक दिन
तूफ़ान थम जायेंगे
फिर खुशिओं के
उत्सव ढल जायेंगे
और बेवफाईओं के
ख़ामोश पल आयेंगे !
मौत आ जाये बेधड़क
तूफ़ान के बवंडर में
न होने से तो
कुछ होना अच्छा होगा
प्यार ना मिलने से तो
मिलकर खोना अच्छा होगा
धोखा भी हुआ तो
क्या फ़र्क होगा
यादों की धरोहर तो मेरा हिस्सा होगा .......
........मोहन सेठी 'इंतज़ार'
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