Monday 29 June 2015

इंतज़ार हूँ मैं ........

तेरी याद में
आँख की मुंडेर से
गिरने को आतुर अश्क़ 
मैं नहीं हूँ .......

वक़्त की किताब में 
तेरी यादों का 
सूखा हुआ फूल 
मैं नहीं हूँ ....... 

जिसकी ख़ुशबू राहों में 
बिखर जाये
ऐसा भी पुष्प 
मैं नहीं हूँ .........

जो पतझड़ में
मौसम के इशारे पर 
पत्तियाँ गिरा दे
वो पौधा भी 
मैं नहीं हूँ  ........ 

अगर हूँ 
तो पन्नों पे लिखे
इस इतिहास का साक्ष 
हूँ मैं.......

हर मौसम में 
प्यार के पुष्प खिलाता
पौधा सदाबहार 
हूँ मैं.........

हर जन्म 
सिर्फ़ तेरे ही इंतज़ार में 
'इंतज़ार' हूँ मैं........
                                      ........मोहन सेठी 'इंतज़ार'




Monday 8 June 2015

तुम कब आओगी........


देखो सब बदलता जा रहा है
समय भी
और मौसम भी
पतझड़ ने सताया
मगर फिर बीत गया
बदली भी आई
बेचारी बेबस बरस ना पाई
मधुमास आयी
तो मधुबन में फिर
श्रृंगार के फूल खिल आये हैं
बताओ ना तुम कब आओगी ?
क्यूंकि तुम्हारे आने से
मौसम की परवाह किस को है
चाहे पतझड़ हो या फ़िर बसंत
सब रंगीन होता है
जब मैं होता हूँ तुम्हारे संग !!

                                  ........मोहन सेठी 'इंतज़ार'

सुनो ........तेरी याद ........150608


Friday 5 June 2015

बेहिसाब बरसो........


मेरे जीवन में तुम आ के बरसो
आसमानी बादल बन के ना बरसो
पास आ सैलाब बन के बरसो
पुरवाई का झोंका बन के ना बरसो
प्यार की अंगार बन के बरसो
मिलन की आस बन के बरसो
बोसों की बौछार बनके बरसो
चांदनी बन के ना बरसो
चकोरी की प्यास बन के बरसो
उमंगों के आकाश से
एहसासों की बारात बन के बरसो
तनहाइयाँ बहुत हुईं
एक मिलन की रात बन के बरसो
अब जैसे भी बरसो .... 
मगर कुछ ऐसे बरसो
कि बेहिसाब हो के बरसो !!

                                       .......मोहन सेठी 'इंतज़ार'



Wednesday 3 June 2015

सुनो ........याद ........150603


सावधान ........


बना के इंसान 
भगवान भी रोया होगा
समंदरों ने खारा पानी तभी पाया होगा
आदमी के ज़ुल्म देखे होंगे औरत पर
सब जला कर तभी रेगिस्तान बनाया होगा
अपनी बनाई दुनियाँ से नाख़ुश होगा
दर्द पहाड़ों सा तभी उभर आया होगा 
सहा नहीं गया दुःख इतना 
पिघल गया बर्फ सा चैन उसका  
पानी नदिओं सा आँखों से बहाया होगा 
देख लालच इंसान के दिलोदिमाग में
सोना चांदी सब धरती में दबाया होगा
जंगल तो बनाये थे सब जीवों के लिये
ना पता था कि इंसान ने सब काट के
कंक्रीट का एक बड़ा शहर बनाया होगा 
इसीलिए जलजला ला के ये गिराया होगा
हवा दी थी खुली साँसें लेने को 
मगर क्या ख़बर थी उसे कि 
इंसान ने इसमें भी ज़हर मिलाया होगा
रुकता नहीं इंसान
मंगल से भी आगे निकल चुका है ये
सावधान... भगवान जब इंसान को तेरे 
असली घर का गृह मिल जायेगा
समझ जाना कि ये किसने 
तेरे घर पहुँच ऐटम बम्ब चलाया होगा !!

                                  ........मोहन सेठी 'इंतज़ार' 



Tuesday 2 June 2015

सुनो ........पंजाबी ........150602


















हिंदी में ......
प्यार में गवाने की रीत भी मान लेते
अगर उसके कानों तक ये बात पहुँच जाती
वोह तो बेखबर है इस बात से कि
मैंने अपनी ज़िन्दगी उजाड़ ली है !!

Monday 1 June 2015

सुनो ........हिमाकत ........150601


प्यार ........


प्यार बड़ी चीज़ है
सबके काम आता है ये
डूबतों का तिनका
दुखियों का सहारा है ये
रोते हुओं के आँसू पोंछ
टूटे हुए दिलों को जोड़ जाता है ये
रूठों को मना लाता है
रिश्तों को शहद बनाता है ये
'इंतज़ार' कम ही लोगों को
करना आता है ये
इसकी तहज़ीब सीख लीजिये
वर्ना सोने वालों की
नीद उड़ा ले जाता है ये
उमंगों को भड़का
ज़िंदगी का मकसद बन जाता है ये
सुनो ...सिर्फ़ एहसासों का बुलबुला है ये
कांटा लगा ......तो हवा हो जाता है ये !!
                                ........मोहन सेठी 'इंतज़ार'