Saturday 29 August 2015

रक्षा बंधन की बधाई एवं शुभकामनाएँ.......

सुनो भाई .....
रक्षा बधन का मतलब समझते हो ना
बहन के अधिकारों की रक्षा
नारी अधिकारों की रक्षा
और सबसे पहले
इन अधिकारों का हनन
अपने ही घर से होता है
तो भाई अगर ऐसा है
तो प्रण लो कि तुम
खुद अपने आप से उसकी रक्षा करोगे
चाहे वो संपत्ति में हिस्सा हो
या किसी भी अधिकार की बात हो
जो तुम को है
और उसको नहीं
राखी का ये त्योहार
सच में सफल हो जायेगा
तुम्हारे प्रण से ......

                           ........ 'इंतज़ार'

शख्स हर कोई लूटेगा.......


शहर से तेरे जब वफाओं का दामन छूटेगा
मेरी सांसों का आखरी दौर मुझसे रूठेगा !!

बेवफ़ा से दिल लगाने का फ़ायदा ही क्या
जब नतीजा है कि दिल यकीनन टूटेगा !!

कद्र बस इतनी ही है दिल लगाने वालों की
तो बेशक शख्स को शख्स हर कोई लूटेगा !!

तारे टूटते रहे मैं मन्नत तेरी मांगता रहा
तुम ना माने तो हर तारा आसमां से टूटेगा !!

जुदाई में अन्दर ही अन्दर सुलग रहा हूँ मैं
ज्वालामुखी है आख़िर एक दिन तो फूटेगा !!

                                                ........'इंतज़ार'
          





Saturday 15 August 2015

हैप्पी आज़ादी दिवस .............


भारत भाग्य विधाता 
हर कोई है यहाँ खाता 
आज़ादी में ...
आज़ादी से रिश्वत पाता 
पकड़े गए तो 
जेल से लौट कर 
मुख्या मंत्री बना जाता 
अंग्रेजों से आज़ादी मिली 
मगर गुंडों का राज सताता 
फिर तुम क्यूँ बिकते हो 
जब समय चुनाव का आता 
याद करो इस आज़ादी की ख़ातिर 
किस किस ने जान गवाई 
चंद सिक्कों और कम्बल में 
आज़ादी को क्यूँ बेचते हो भाई  
ना सोचो पार्टी की ना नेता ना भाई 
सिर्फ़ सोचो देश की 
देखो कितने बलिदानों से थी आज़ादी पाई 

                            .............मोहन सेठी 'इंतज़ार'

Saturday 8 August 2015

रखा क्या है ........


पीते रहे हम दरबदर सोचा ज़माने में रखा क्या है
तेरी आँखों से पी तो सोचा मैखाने में रखा क्या है !!

मुस्कुराते रहे दर्द-ओ-अलम पर हम उम्र तमाम
कांधे पे तेरे रोये तो सोचा मुस्कुराने में रखा क्या है !!

ग़ज़ल कहने को कलम भावनाओं में यूँ बह निकली
जब डूब ही गए तो सोचा बहर मिलाने में रखा क्या है !!

तुझ पर शायरी लिखने की सोचते रहे एक मुद्द्त से
सोचा काली सिहाई तेरे दिल पे लगाने में रखा क्या है !!

तेरे एहसासों की बारिश में भीगे हम कुछ इस तरहां
सोचा अब सावन की बारिश में नहाने में रखा क्या है !!

इस दुनियाँ की भीड़ में यूँ तो हरकोई शख्स तनहा है
तुझे तनहा देख सोचा महफ़िल सजाने में रखा क्या है !!

करना है अगर इश्क़ तो फिर आग में कूद कर देख
'इंतज़ार' ज़रा सोच दूर से दिल जलाने में रखा क्या है !!

                                                                ........मोहन सेठी 'इंतज़ार'




Friday 7 August 2015

माँ ........


गंगा तो पवित्र है
इन्सानों के दुष्कर्म
अनवरत बहाना इसका चरित्र है
मैली पड़ जाती है
फिर भी बहती जाती है
आखिर माँ है
चुप चाप सहती जाती है
मगर दूषित करने वाले
माँ पुकार कर भी
ज़हर पिलाते जाते हैं
दुखों का अम्बार जुटाते जाते हैं
कहाँ किसी को ये प्यार दे पाते हैं
स्वार्थ ही तो कर्म है इनका
बस यही धर्म निभाते जाते हैं
इक दिन ये राख़ बन जाएंगे
माँ से मिलने फिर वापस आएंगे
किस मुहं से मुक्ति मांग पाएंगे
मगर गंगा तो आखिर गंगा माँ है
मना भी तो ना कर पायेगी
माँ क्या होती है
जो जीते जी ना समझ सके
अब राख़ बन क्या ख़ाक समझ पाएंगे  !!

                                              ........मोहन सेठी 'इंतज़ार'



Tuesday 4 August 2015

सुनो ........घर ........150804


उपजाऊ धरती ........


धरती में सोये
बीज फूट आते हैं
पौधे बन जाते हैं
सिर्फ़ धरती नहीं
मेघ सूर्य ॠतु वायु
और सम्पूर्ण प्रकृति
हर कोई मिल के उगाते हैं
क्यों फिर उपजाऊ
सिर्फ़ धरती को बताते हैं !!

                                       मोहन सेठी 'इंतज़ार'