Friday, 23 January 2015

हनीमून ......


प्यार हो गया है मुझे
ये हवायें ... ये फ़िज़ायें ...
देखो मस्त पुरवाई है आई
चिड़ियों ने मुझे मधुर धुन है सुनाई
फूलों के चेहेरे पे मुस्कुराहट है आई
ये कलियाँ भी आज हैं कुछ शरमाई
पेड़ों की तो पूछो ही मत
डालियाँ झुक झुक कर
मेरे चुंबन को हैं आयी
पत्तियाँ ने झिलमिल हिल कर
अपने दिल की उत्तेजना है दिखाई
लो अब एक बदली भी
हलकी सी बौछार ले के आयी
ये नदियाँ ये धाराएँ ये झील ये समन्दर
ये चंदा ये सूरज ये झिल्मिलाते सितारे
देखो कितने सुंदर और प्यारे हैं ये नज़ारे

चाहे वो हरदम मेहरबान न हो इतनी
मगर नाराज़ रह कर भी रहेगी मेरी अपनी
और फिर दुबारा प्यार बरसायेगी मुझपर
जीवन भर का है ये साथ हमारा
खुदगर्ज़ नहीं वो
बस जो है  उसके पास
वोह लूटा रही है मुझ पर
आज मैं जा रहा हूँ इसके साथ
हनीमून पर ....
इस शहर से दूर
सिर्फ़ वो और मैं ....
क्यों न हो प्यार मुझे इस प्रकृती से
                                                ........इंतज़ार



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