गए साल में
बहुत कुछ पाया है
और कुछ खोया है
जाते जाते
बीता साल भी
बहुत रोया है
कैसे समझाऊँ उसको
काल को कौन रोक पाया है
नया साल फिर
रोशन हो आया है
नयी राह पर कोहरा है
मगर नये साल का सूरज
बस नींद से
उठ ही आया है
एक नयी फेहरिस्त
बनाई है
कुछ पुरानी
आगे चलायी है
कुछ नयी उम्मीद
फेहरिस्त में लगाई है
हर पल हाथ
पकड़ रखना
अभी अभी बस यही बात
अपने रब को समझायी है
........इंतज़ार
बहुत कुछ पाया है
और कुछ खोया है
जाते जाते
बीता साल भी
बहुत रोया है
कैसे समझाऊँ उसको
काल को कौन रोक पाया है
नया साल फिर
रोशन हो आया है
नयी राह पर कोहरा है
मगर नये साल का सूरज
बस नींद से
उठ ही आया है
एक नयी फेहरिस्त
बनाई है
कुछ पुरानी
आगे चलायी है
कुछ नयी उम्मीद
फेहरिस्त में लगाई है
हर पल हाथ
पकड़ रखना
अभी अभी बस यही बात
अपने रब को समझायी है
........इंतज़ार
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