Sunday 11 January 2015

बुरा न मानो ब्लॉग है ........



वैसे तो हम बहुत बतियाते हैं
यूपी से थे मगर अब सब इसे यूके बताते हैं
लेकिन कोई नहीं सुनता अपनी
इसीलिए तो हम ब्लॉग पे आते हैं

जब हम बकरी की कहानी सुनाते हैं
तो कुछ गहरी नींद में
सोये सोये वाह वाह कह जाते हैं
और कई जो जगे हैं वो
दुलती मार भगाते हैं
चलो कोई सुनता तो है
इसीलिए तो हम ब्लॉग पे आते हैं

कई प्यार का फ़रमान सुनाते हैं
तो कई टूटे दिल को जोड़ने का
फेवीकोल बन आते हैं
कई दिल का दर्द दिखाने आते हैं
कई दर्द की मलहम बन जाते हैं
हर किसी का कोई ना कोई फ़साना तो है
लिखने लिखाने का बहाना तो है
अन्दाज़ किस्से सुनने सुनाने के भाते हैं
इसीलिए तो हम भी ब्लॉग पे आते हैं

कोई राजनीत से है उत्साहित
कोई राजनीति से निराश रहते हैं
करते फिर भी कुछ नहीं
बतिया के सो जाते हैं
चलो किसी को तो जागृत कर जाते हैं
गधों को घोड़े की चाल से अवगत कराते हैं
नतीजा कुछ नहीं
मगर कहने वाले कह जाते हैं
और सुनने वाले सुन जाते हैं
इसीलिए तो हम भी ब्लॉग पे आते हैं

किसी को चाँद नहीं मिलता
किसी को सूरज नहीं दिखता
कोई गिरती बर्फ से है ख़ुश
तो किसी को बारिश का है दुःख
कोहरों ने तो कोहराम मचा रखे हैं
मगर कई लोगों ने कोहरों में भी
सपने रंगीन सजा रखे हैं
इसीलिए तो हम भी ब्लॉग पे आते हैं

किसी को भगवान से है शिकायत
किसी को धर्म समझ नहीं आता
कोई धर्म बदलने की फ़िराक में रहते हैं
तो कोई बदलवाने की ताक में रहते हैं
किसी का ध्यान सड़क पर बिखरे इंसानों पर है
तो कोई सफाई अभियान चला
सड़कों से कूड़ा हटाने की ताक में रहते हैं
बिना हिले हर रोज़ इतना कुछ जी लेते हैं
सबकी सुनते हैं अपनी सुनाते हैं
अच्छा अब ना कहिये कि हम बहुत बतियाते हैं
सच बतायें...इसीलिए तो हम ब्लॉग पे आते हैं

                                                         ........इंतज़ार




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