खिड़की
आवाज़ तो तेरे दिल की हूँ ..... सुर बदल बदल के आ जाता हूँ ........इंतज़ार
Friday, 3 July 2015
ग़ालिब का भतीजा........
पूछा शायर ने अभिमान से
कि तुम कब से शायर हो गए
मैंने कहा मेरे माता पिता
शायरी कर रहे थे
मैं बस उसी का नतीजा हूँ
यूँ समझो कि दूर पास का मैं भी
ग़ालिब का भतीजा हूँ !!
........मोहन सेठी 'इंतज़ार
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