खिड़की
आवाज़ तो तेरे दिल की हूँ ..... सुर बदल बदल के आ जाता हूँ ........इंतज़ार
Friday, 3 July 2015
सुनो ...जलन .........150703
मत्ले का शेर लिखा मगर बहर बड़ी हो गई तो ग़ज़ल आप के लिये छोड़ दी .....
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