अक्सर भूल जाना तो उनकी आदत है
मुझको भुलाना शायद उनकी चाहत है !
बस यूँ हीं गुज़ार लेंगे हम दिन अपने
मुझको भुला कर अगर उनको राहत है !
ख़ुदा भी शायद हैरान होगा ये देख कर
दुनियाँ में सिर्फ़ तू ही मेरी इबादत है !
एक गुलाब जो तोड़ा था मैंने उनके लिये
बेवजह टूटने से वो गुल आज आहत है !
कलियों पे नहीं फूलों पे मंडराया करो
उनकी 'इंतज़ार' को ये सख्त हिदायत है !!
........मोहन सेठी 'इंतज़ार'
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