Thursday, 16 July 2015

हिदायत ........


अक्सर भूल जाना तो उनकी आदत है
मुझको भुलाना शायद उनकी चाहत है !

बस यूँ हीं गुज़ार लेंगे हम दिन अपने   
मुझको भुला कर अगर उनको राहत है !

ख़ुदा भी शायद हैरान होगा ये देख कर  
दुनियाँ में सिर्फ़ तू ही मेरी इबादत है !

एक गुलाब जो तोड़ा था मैंने उनके लिये  
बेवजह टूटने से वो गुल आज आहत है !

कलियों पे नहीं फूलों पे मंडराया करो 
उनकी 'इंतज़ार' को ये सख्त हिदायत है !!

                                    ........मोहन सेठी 'इंतज़ार' 


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