Thursday, 4 December 2014

चाँद का सूरज ....


मैं चाँद हूँ
और तू मेरा सूर्य 
हमारा प्यार
चिरकाल से है
मेरी आंख हमेशा 
तुम पर ही लगी रहती है 
तुम सदेव
अपनी किरणों से
अपने प्यार के एहसासों
की बौछार कर
मुझे तृप्त रखते हो

तभी तो चांदनी है मेरी 

हाँ मैं तुम्हें निहारता रहता हूँ
मगर विवश हूँ
गले नहीं लग सकता
तुम पास आते हो और 
फिर दूर हो जाते हो इतना 
कि दुनियाँ के एक तरफ़ तुम 
और दूसरी तरफ मैं

हम दूरीयाँ बनाये
रखने पर मजबूर हैं
तेरा मेरा मिलना
असम्भव है
अगर हम मिल गए
तो इस दुनियाँ का ही
अंत हो जायेगा

प्यार की मजबूरियाँ 
भी अजीब हैं 
चाँद और सूरज भी असहाय हैं 
कितने मजबूर हैं 
मिल न पायेंगे
मगर कोई भी
इसे झुठला नहीं सकता 
ये प्यार सत्य है
ये प्यार अंनत है

सुनो ..... 
सूर्य और चाँद की तरहें
            ना जाने कितने और अफ़साने होंगे .......
                                                    .........इंतज़ार 





No comments:

Post a Comment