एक कल्पना है सच्चा प्यार
बस झूठा सपना है यार
दुनिया का रंग
जब उसमें छू जाता है
प्यार बेचारा बेरंग हो जाता है
रिश्तों की बू
जब इस में आने लगती है
इसकी रंगत मुरझाने लगती है
जिस्मानी रिश्तों की अगर तृष्णा होती है
तो स्वार्थ की गुंजाईश इसमें दबी होती है
इसिलिये एहसासों की प्यास दूषित होती है
बेचारी कुंठित रोती है सच्ची प्यास कहाँ होती है
.....इंतज़ार
बस झूठा सपना है यार
दुनिया का रंग
जब उसमें छू जाता है
प्यार बेचारा बेरंग हो जाता है
रिश्तों की बू
जब इस में आने लगती है
इसकी रंगत मुरझाने लगती है
जिस्मानी रिश्तों की अगर तृष्णा होती है
तो स्वार्थ की गुंजाईश इसमें दबी होती है
इसिलिये एहसासों की प्यास दूषित होती है
बेचारी कुंठित रोती है सच्ची प्यास कहाँ होती है
.....इंतज़ार
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