सपनों में प्यार का सपना सजा रे
मिलने का उससे धीरज बंधा रे
क्या करूँ नशा मुझ पे चड़ने लगा रे
सतरंगी सपनों का चस्का लगा रे
बीत जाये जिन्दगी मुझे क्या पड़ा रे
क्या हो रहा है मुझे क्या ख़बर रे
अक्स उसका दिल में है जमने लगा रे
जीने का अब मुझ को मकसद मिला रे
मेहंदी का रंग उसपे दिखने लगा रे
लाली का रंग होठों पे चड़ने लगा रे
काजल भी नैणों में सजने लगा रे
अंखियों से दिल उसका कुछ कहने लगा रे
सपनों में प्यार का सपना सजा रे
मगर सुन ...
टुटा जब सपना... तू तो मरा रे
........इंतज़ार
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