Friday 28 November 2014

अब रोना अच्छा लगता है....


बीते कल के ख़त पढ़ कर
रोना अच्छा लगता है
प्यार के टूटे हुए खंडरों में
लोट के आना अच्छा लगता है
तू नहीं तो कोई बात नहीं
तेरी याद में जीना अच्छा लगता है
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं
जिन्हें कई जन्म
ना भुला पाना अच्छा लगता है
जितना मिला बहुत मिला
कुछ पल का प्यार भी
पाना अच्छा लगता है
पाने की कहानी सीमित है
खोने की कशिश जीने में
एक ज़माना लगता है
टूटे हुए पंखों  से
उड़ पाना अच्छा लगता है
तेरी पलकों से गिर जाना भी
शायद.... अब अच्छा लगता है
अब रोना अच्छा लगता है
                                             

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