Monday, 3 November 2014

सिर्फ़ तेरे लिये ....


तेरे माथे का टीका
मुझे चाँद सा दीखा
तेरा ये गजरा
गहरी जुल्फों पे सजरा
तेरे माथे की बिंदिया
उड़ाये मेरी निंदिया

गालों पे लाली
पलकों पे रंग
आँखों में कजरा
नाक में नथनिया
गले में गलुबंद
और हीरों का हार
सब करें मुझ पे वार

कानो में बाली
तूने सजाली
हाथों में मेहंदी और
तेरा ये कमरबंद
हाय लिपटा तेरे अंग

चोली की कसन
साडी से झलके उजला बदन
चूड़ी की छन छन
तेरा बाजुबंद
कैसे चिपका कसके तेरे संग

तेरी अंगूठी की चमक
ये नाखूनों के रंग
पतली नाज़ुक उँगलियाँ
सोहना बदन
ये साडी का निखार
बजे दिल का सितार

पैरों में आलता का रंग
सुंदर लगे मेहंदी के संग
तेरा ये बिछुआ
तेरे चलने का ढंग
मारे बिच्छु का डंग 

उफ़ ये सृंगार 
दिल तो गया हार 

                   ......इंतज़ार 





No comments:

Post a Comment