आदमी की ज़हरीली नसल मिटानी होगी
अब इक नई मासूम फसल उगानी होगी
ज़ालिमों के सीने से गर ना गुजरेगा खंज़र
निर्भया की रूह को तब तक परेशानी होगी
हुक्मरानों की आँखों में जिस दिन शर्म होगी
उस दिन से बेटियों की चुनर धानी होगी
कर गुज़र जो दिल चाहे अठारह से पहले
सरकार को तुझे सिलाई मशीन दिलानी होगी
ऐसे खूंखार गुनाहों पे भी फांसी न हुई तो
ज़ालिमों के सीने से गर ना गुजरेगा खंज़र
निर्भया की रूह को तब तक परेशानी होगी
हुक्मरानों की आँखों में जिस दिन शर्म होगी
उस दिन से बेटियों की चुनर धानी होगी
कर गुज़र जो दिल चाहे अठारह से पहले
सरकार को तुझे सिलाई मशीन दिलानी होगी
ऐसे खूंखार गुनाहों पे भी फांसी न हुई तो
शर्मसार हैं बात सरकार को समझानी होगी
......... इंतज़ार
......... इंतज़ार
No comments:
Post a Comment