शहर से तेरे जब वफाओं का दामन छूटेगा
मेरी सांसों का आखरी दौर मुझसे रूठेगा !!
बेवफ़ा से दिल लगाने का फ़ायदा ही क्या
जब नतीजा है कि दिल यकीनन टूटेगा !!
कद्र बस इतनी ही है दिल लगाने वालों की
तो बेशक शख्स को शख्स हर कोई लूटेगा !!
तारे टूटते रहे मैं मन्नत तेरी मांगता रहा
तुम ना माने तो हर तारा आसमां से टूटेगा !!
जुदाई में अन्दर ही अन्दर सुलग रहा हूँ मैं
ज्वालामुखी है आख़िर एक दिन तो फूटेगा !!
........'इंतज़ार'
No comments:
Post a Comment