देखो सब बदलता जा रहा है
समय भी
और मौसम भी
पतझड़ ने सताया
मगर फिर बीत गया
बदली भी आई
बेचारी बेबस बरस ना पाई
मधुमास आयी
तो मधुबन में फिर
श्रृंगार के फूल खिल आये हैं
बताओ ना तुम कब आओगी ?
क्यूंकि तुम्हारे आने से
मौसम की परवाह किस को है
चाहे पतझड़ हो या फ़िर बसंत
सब रंगीन होता है
जब मैं होता हूँ तुम्हारे संग !!
........मोहन सेठी 'इंतज़ार'
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