ये सुहानी चाँदनी
मेरा इश्क़ है
मैं इसे आग़ोश में ले
सपनों में खो जाता हूँ
इसकी रुहानी महक
इसकी शीतलता
और मुझे अपने में
भिगो देने की अदा
बेहद अच्छी लगती है
मेरे हिस्से की चांदनी तो मेरी है
अब ... चाँद किसका है
ये चाँद जाने ...........
.........इंतज़ार
सपनों में मेरे तुम आने लगोगी
बस तेरे मुस्कुराने भर की देर है
चोरी हो जायेगा ये दिल मेरा
तेरे आँख मिलाने भर की देर है
देख हम तो लुट ही जायेंगे
तेरे शर्माने भर की देर है
महक उठेगी दिल की बगिया
ज़रा पास आने भर की देर है
ये गीत तो ग़ज़ल बन ही जायेगी
बस तेरे गुनगुनाने भर की देर है !!
...........इंतज़ार
कई बार......
दिन में कई बार
समझाया है
एक ख़वाब था
कब से
दिन निकल आया है
अब ना होगी
फ़िर वैसी रात
ना आएगा उस का ख़वाब
बेगैरत दिल फिर से
ज़िक्र तेरा ले आया है
जब भी तेरी महक का
झोंका हवा में आया है
........इंतज़ार