Wednesday, 31 December 2014
Tuesday, 30 December 2014
Sunday, 28 December 2014
प्यार करियो ना ... एक गीत
प्यार करिओ ना
किसी पे तु मरिओ ना
चकोरी गा गा
चाँद रिझावे
चाँद ज़मी पे ना आवे
चकोरी गा गा
कंठ सुकावे
चाँद तरस ना खावे
मोर झूठा नाच दिखा के
मोरनी को उकसावे
कामदेव का पाठ पढ़ा के
दूर कहीं उड़ जावे
प्यार करिओ ना
किसी पे तु मरिओ ना
कविराज भी लीप पोत के
मधुर गीत सुनावेंगे
सतरंगी असमानों पे उड़ने के
झूठे सपने दिखलावेंगे
खुद तो गहरी चोट खा के
कवि शायर बन जावेंगे
औरों को फिर आग लगाके
प्यार की आंधी चलवावेंगे
प्यार करिओ ना
किसी पे तु मरिओ ना
दुनियाँ भर की बात बनाके
तुझे ये बांवरा बनावेंगे
भवरों और फूलों के किस्से सुनाके
तेरे अरमानों को भड़कावेंगे
कैद परिंदों को पिंजरों में कर के
सातवें असमान पे उड़वावेंगे
इनकी बातें सुन सुन के
कई दिल पिघल भी जावेंगे
मगर तु प्यार करिओ ना
किसी पे तु मरिओ ना
तु पहली सीड़ी चढ़िओ ना
तु प्यार किसी से करिओ ना
जब दुःख के बदलाँ घिर आवेंगे
तुझ को अपने जैसा कवी बनावेंगे
तेरे हाथ फिर दे कलम दवात
असफ़ल प्यार के सफल गीत लिखवावेंगे
तु प्यार करिओ ना
किसी पे तु मरिओ ना...
........इंतज़ार
Saturday, 27 December 2014
सपनों में प्यार का सपना......गीत
सपनों में प्यार का सपना सजा रे
मिलने का उससे धीरज बंधा रे
क्या करूँ नशा मुझ पे चड़ने लगा रे
सतरंगी सपनों का चस्का लगा रे
बीत जाये जिन्दगी मुझे क्या पड़ा रे
क्या हो रहा है मुझे क्या ख़बर रे
अक्स उसका दिल में है जमने लगा रे
जीने का अब मुझ को मकसद मिला रे
मेहंदी का रंग उसपे दिखने लगा रे
लाली का रंग होठों पे चड़ने लगा रे
काजल भी नैणों में सजने लगा रे
अंखियों से दिल उसका कुछ कहने लगा रे
सपनों में प्यार का सपना सजा रे
मगर सुन ...
टुटा जब सपना... तू तो मरा रे
........इंतज़ार
फ़रेब ......एक गीत
हर किसी को यहाँ मिलते हैं
झूठे प्यार जिन्दगी के
कुछ धोखे हैं
कुछ मतलब हैं
यहाँ सच्चे प्यार
कहाँ मिलते हैं
कुछ दिनों के
हैं ये धोखे
असली यार कहाँ
मिलते हैं
जितना मिलता है
जी लो उसको
ना जाने
कब रिश्ते बदलते हैं
ना मैं मैं हूँ ना तू तू है
मुखोटों में रहते हैं
सब यहाँ जिन्दगी में
कितने जाल हैं
कितनी चाल हैं
कौन जाने
क्यों ये हाल हैं
क्यों किसी को नहीं मिलता
सच्चा प्यार यहाँ जिन्दगी में
......इंतज़ार
झूठे प्यार जिन्दगी के
कुछ धोखे हैं
कुछ मतलब हैं
यहाँ सच्चे प्यार
कहाँ मिलते हैं
कुछ दिनों के
हैं ये धोखे
असली यार कहाँ
मिलते हैं
जितना मिलता है
जी लो उसको
ना जाने
कब रिश्ते बदलते हैं
ना मैं मैं हूँ ना तू तू है
मुखोटों में रहते हैं
सब यहाँ जिन्दगी में
कितने जाल हैं
कितनी चाल हैं
कौन जाने
क्यों ये हाल हैं
क्यों किसी को नहीं मिलता
सच्चा प्यार यहाँ जिन्दगी में
......इंतज़ार
Thursday, 25 December 2014
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