Sunday, 4 January 2015

साथ ........



कभी ये परेशां है
कभी वो परेशां है
मजबूरिओं की बेड़ियों  में
जकड़े हैं दोनों ऐसे
कोई कदम चल नहीं सकता
तो कोई कदम रोक नहीं सकता
वक़्त की किताबों में
कुछ लिखा नहीं मिलता !
इन हालात का
कोई किस्सा नहीं मिलता !
इतिहास तो होगा
हर एक जज्बे का
मगर कोई लिख नहीं सकता
तो कोई पढ़ नहीं सकता !
सुलह की सीढियों से
कोई छत पे चढ़ नहीं सकता
तो कोई छत से उतर नहीं सकता !
जो चाहिए वोह मिल नहीं सकता
और कोई दे नहीं सकता !
फिर ये साथ कैसा है
कोई छोड़ नहीं सकता
तो कोई निभा नहीं सकता...
कोई जी नहीं सकता
तो कोई जहर पी नहीं सकता...
                                   ........इंतज़ार




सुनो ........150104


Saturday, 3 January 2015

विरह के तम ........

विरह के तम में जीते हैं
उम्मीद की किरणे हैं कम
इन गहरे ठंडाये कोहरों ने
आसमान को घेर
सूर्य की मित्रता का
हल्का दिया है रंग
सूर्ये के मजबूत इरादों को भी
मजबूरी का सबक सिखा
दिखलाया एक नितान्त ढंग
"इंतज़ार" कर इंतज़ार कुछ
एक दिन इन कोहरों को
सूर्ये नहीं तो
मार भगायेगा
नये ऋतुओं का क्रम

                   ........इंतज़ार

Friday, 2 January 2015

bridge........


don’t burn the bridge
there are crocodiles 
across the ridge 
leave an option due
someone will still be 
waiting for you
life is not to lit desires
it is about finding 
the right fire
to burn yourself in it
to experience the intensity
and melting together
with someone special
all the grief 
will last only brief 
and the eternal bliss 
will be forever a bliss
         
                                              ........इंतज़ार 

सुनो ........150102!!


सुनो ........150102


Thursday, 1 January 2015

नया पुराना ........

गए साल में
बहुत कुछ पाया है
और कुछ खोया है
जाते जाते
बीता साल भी
बहुत रोया है
कैसे समझाऊँ उसको
काल को कौन रोक पाया है

नया साल फिर
रोशन हो आया है
नयी राह पर कोहरा है
मगर नये साल का सूरज
बस नींद से
उठ ही आया है

एक नयी फेहरिस्त
बनाई है
कुछ पुरानी
आगे चलायी है
कुछ नयी उम्मीद
फेहरिस्त में लगाई है

हर पल हाथ
पकड़ रखना
अभी अभी बस यही बात
अपने रब को समझायी है
                      ........इंतज़ार